Wednesday, April 6, 2016

खुशी:आपके भीतर

             जिन्दगी की हर खुशी हमारे अन्दर समायी होती है,बस हम उसे ढ़ुंढ़ नहीं पाते और उसे पाने की जद्दोंजहद में जीवन गुजार देते हैं। बहुत बार जब मैं दुखी होती हूँ तो अपने मन की करती हूँ और वाकई मैं खुश हो जाती हूँ मतलब मन की करना ही खुशी हैं, कम से कम मेरे लिये तो।जब मैं दो पक्तियाँ अपने मन की कागज पर उतारती हूँ तो पूरा दिन खुश रहती हूँ।जरुरी नहीं कि खुशियाँ महंगें कपड़ों में हो,फाईव स्टार हॉटल के खाने में हो,हर साल विदेश यात्रा में हो,रिहायशी एरिया में रहने से हो,हाई सोसायटी में उठने बैठने से हो,यह तो वो नन्हा सा तार है जो अनायास ही आपकी आत्मा को झंकृत कर देती है। हमारे वजूद,हमारे अहसास का जिन्दा रहना ही सही मायनों में सार्थक खुशी हैं बाकि तो सब परिस्थितिनुसार परिवर्तित होने वाले क्षण मात्र है।
                            पिछले पाँच दिनों से बाई पंद्रह दिनों की छुट्टी पर हैं ,काम का भार होने के बावजुद जब मैं सुबह की वॉक पर जाती हूँ तो आते समय पसीने की बूंदों के साथ टपकती थोड़ी सी खुशी भी ले आती हूँ,अपनेआप को नजरअंदाज ना करने की खुशी,अपने लिये जीने की खुशी।
                                जो पसंद आये वो सब करने लगी हूँ मैं,अपनी जिन्दगी को जीने लगी हूँ मैं।बहुत बार मैं अपने आप को गिफ्ट्स देती हूँ,नहीं इंतजार करती किसी का कि कोई आये और खुशियाँ उपहार में दे।घर में सभी का जन्मदिन मनाती हूँ,सरप्राईज देती हूँ और जब मेरा जन्मदिन आता है तो बिल्कुल उम्मीद नही करती कि मुझे भी कोई अचम्भित करे और मैं स्वय ही खुद को पेम्पर कर लेती हूँ। ना केवल जन्मदिन धुमधाम से मनाती हूँ बल्कि सारा डेकॉरेशन भी थीम बना के करती हूँ।
           अपनी उम्र को छुपाती नहीं हूँ।चालीस पार कर गयी हूँ,खुश हूँ इस पड़ाव पर,और ना ही मुझे शौक है अपने से आधी उम्र की दिखने में,कतई नहीं चाहती कि अपनी टीनऐज बेटी की बड़ी बहन जैसी दिखु, चालीस की हूँ और चालीस का ही रूतबा चाहती हूँ।मिडिल ऐज की तकलीफें हालांकि शुरू हो गयी है फिर भी अपनी गरिमा अजीज़ है मुझे।
                जिन्दगी के इस चक्रव्युह में जब,सब उलझ जाता हैं तो मैं और पारस निकल पड़ते है उसे सुलझाने,जब दिमाग घूम जाता है तो मैं और भाभी थोड़ी गहरी दार्शनिक बातें कर लेते है,जब किसी के सहारे की जरूरत हो तो मैं किरण से आशा की किरणों को पा लेती हूँ,जब दिल में शरारत भरी हो तो परिवार के कुछ अजीज लोगों को हंगामा करने बुला लेती हूँ तो कभी अपने नितान्त अकेलेपन से बातें कर एक नया आयाम पा जाती हूँ,और बस ऐसे ही बेवजह खुश रहने की कोशिश करती हूँ।
          चतुर नार का कहना है कि आपको अपनी जिन्द़गी सिर्फ एक बार मिली है, जी लिजिये इसे खुल के कुछ सिम्पल टिप्स के साथ
1. अपने आप को प्राथमिकता देना प्रारम्भ करे।
2. अपने शौक को कभी मत मारीये।
3. अपने परिवार की मर्यादा को समझते हुए हर वो काम करे जो आपको खुशी दे।
4. बातें घुमा फिरा के करने के बजाय सीधे शालीन शब्दों का प्रयोग करे।
5. किताबें पढ़ने की आदत डालीये,ये आपकी बेहतर दोस्त हो सकती है।
6. एक छोटी सी लाईब्रेरी बनाये और कुकिंग से लेकर राजनीति तक ,यात्रा वृतांत से लेकर दर्शन शास्त्र की किताबों को उसमे जगह दे।
7. हँसते रहने की आदत डालीये, आप खुबसूरत दिखेंगी।
8. काम वाली बाई नहीं आई तो तनाव मत पालीये,जितना हो सकता है उतना काम करिये , थक गये है तो शाम का खाना बाहर से ऑर्डर करे 😜
9. मॉरनिंग वॉक,व्यायाम और काम करने की आदत रखे,यकिन मानीये आपका आत्मविश्वास बढ़ जायेगा।
10. आत्मनिर्भरता को तवज्जों दे।
11. भले ही आप हाउस वाईफ हो, अपनेआप को कमतर ना समझे, लागातार प्रयत्नशील बने रहे और अपनी पहचान बनाये रखे।
12. समय के साथ बदलते रहे,आपका आपके के बच्चों के साथ सामंजस्य बना रहेगा।
13. किसी जरूरतमंद की मदद कर के देखिये, आनन्द मिलेगा।
14. रिश्तों और आपसी संबंधों की महत्ता पहचाने,सच्चे रिश्तों के दरमियां खुली किताब बने।
15. कुछ ऊसुल खुद के बनाये और उन्हे लांघने की ईजाजत किसी को ना दे।
                यह आपकी जिन्द़गी है अपने अनुसार जीये, आपसे बेहतर आपकी जिन्द़गी को कोई नहीं जान सकता,चतुर नार भी नहीं ☺️👍🏻

1 comment:

  1. बहुत ही प्रेरणादायक

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