Sunday, March 27, 2016

और मेरे पौधों को आँखें मिल गयी






बैठे बैठे क्या करे
करना है कुछ काम
शुरु करो अंताक्षरी
लेकर प्रभु का नाम
   बचपन में जब भी कभी फ़्री होते थे यही करते थे, लेकिन अब परिस्थितियाँ, हालात और समय  सब बदल गया है, पहली बात तो आज की व्यस्त जिन्दगी में फ़ुर्सत के पल मिलते नहीं और अगर मिलते भी है तो व्हॉट्सऐप और फ़ेसबुक उन्हे पूरी तरह से हथिया लेते है ।
        जाते बसंत और आते फ़ागुन के बीच का मौसम ही कुछ ऐसा होता है जो गहरी वीरानी समेटे आता है, व्यस्त होते हुए भी एक सुनापन मन में गहरे तक उतर जाता
है। ऐसे ही अवसाद भरे मौसम में मैं अपने ड्रॉईंगरुम से खिड़कियों में लगे पौधों को निहार रही थी, वो भी खिले होने के बावजूद बेजान लग रहे थे, लग रहा था जैसे निराशा ओढ़े
हुए हो। तभी मेरे मस्तिष्क में जैसे कोई तरंग सी उठी और अवसाद को छूमंतर करके
हम झुम उठे मैं भी और मेरे पौधें भी..... ☺️
अपने रंगों को बाहर निकाला
प्यारे से शब्दों का साथ दिया 
आ, रंग दूँ मैं तुझे गेरुआ 
किसी को गेरुआ तो किसी को हरा रंगा


प्यारी सी शक्ल दी 
















अब कुछ भी उदास नहीं था 

 ............और इस तरह उदास मन और मौसम को मेरे प्रयासों ने खुशरंग कर दिया.... मेरे पौधे मानो मुस्कूरा रहे थे,आखिर उन्हे आँखें जो मिल गयी थी ।

 चतुर नार का कहना है कि सब कुछ आपके भीतर है सुख भी और दुख भी,बस जरुरत है सही को बाहर निकालने की।
1. समय का सही सदुपयोग करे
2. मंनोरंजन की बजाय अपने अस्तित्व पर ध्यान दे
3. अपने सकारात्मक गुणों की खोज करे
4. व्यस्त रहे,यह सबसे अच्छा तरीका है नकारात्मकता से दूर रहने का
5. कुछ भी करे ,दिल से करे
6. आपके आस पास हर जगह संगीत है ,बस महसूस कीजिये और झुमे
7. याद रखिये,अकेलापन अवसाद नहीं है बल्कि आपका एक बेहतर दोस्त है जिस समय आप अपना निरीक्षण कर सकते है
8. यकिन मानीये जब मैं अकेली रहती हूँ तो बहुत कुछ अच्छा करती हूँ
9. आप भीड़ में रहे या अकेले कोई फर्क नहीं पड़ता ,बस आपको अपने खुद के साथ खड़े रहना है,स्वयं को प्राथमिकता देनी है।

         जाईये,जी लीजिये अपने आप को,चतुर नार की शुभकामनायें आपके साथ है ।सिर्फ पौधों को ही नहीं अपनी पूरी जिन्दगी को नयी रोशनी दिखाईये ।






























Thursday, March 17, 2016

मायका

मायका, एक मिठास भरा शब्द जो जिन्द़गी को चाशनी सा बना देता है। कल ही मायके से लौटी हूँ सो चाशनी से लबालब है जीवन। हालांकि माँ के बिना क्या मायका......लेकिन फिर भी जब हर कोने में माँ की यादें बसी हो,हर आहट में माँ की पदचाप हो और ओढ़ने की चादर में माँ की खुशबू हो तो फिर माँ की कमी कहाँ ? वैसे भी चतुर नार, जो खो चुका है उसमे दुखी होने की बजाय जो रह गया है उसे संजोने में ज्यादा विश्वास रखती है,बस वैसे ही माँ की यादों से सजे पीहर में खुशगवार पल बिता कर आई हूँ मैं ।
              मायके की तो हर बात ही जीवंत होती है,हर तरफ बस मान मनुहार।बात सिर्फ मेरे घर की नहीं हैं, बात मेरे पूरे मायके की है, गली-मौहल्ले, दुकान और दुकानदारों की हैं,सुबह की पूरवाई और शाम की है,दादा दादी के स्नेह और लाड़ की है, जहाँ गुजरा था बचपन उन गली गलियारों की हैं,यहाँ बात हर नन्हे से पल की हैं।
               पिछले दो दशकों में बहुत कुछ बदल गया,मेरा शहर सिटी बन गया,गलीयाँ सड़क बन गयी,मेरा स्कुल नयी ईमारत मे तब्दील हो गया,साथ पढ़े थे जो चेहरे वो बदल बदल से गये लेकिन फिर भी मायका तो मायका हैं बिल्कुल पहले जैसा, हर बार मीठा अहसास।
                       बचपन में जिन गलियों से हो कर स्कुल जाया करती थी भले ही उनके रूप रंग बदल गये हो, लेकिन आज भी वे गलियाँ बचपन की यादें ताजा कर देती हैं। घर के आस पास की दुकानें आज भी वैसी ही है,हाँ चेहरे मोहरे जरुर बदल गये है ,लेकिन जो नहीं बदला,वो हैं स्नेह उनकी आँखों का । जब उन दुकानों पर जाती हूँ तो बड़े ही अपनेपन से दिल खोल देते हैं जैसे बिटीया उन्ही के घर आयी हो। मेरे बच्चें साथ होते हैं तो उनके बारे में पूछते हैं कि कौनसी कक्षा में पढ़ते है वैगरह वैगरह, फिर बच्चें मुझसे पुछते हैं कि ये आपके रिश्तेदार है क्या और जब मैं बताती हूँ कि नहीं, मैं बचपन में इनकी दुकान पर आती थी बस,तो वे आश्चर्यचकित रह जाते है.......😊 यह होता है मायका।
           साड़ीयाँ खरीदने जाती हूँ तो पहले तो हालचाल पुछा जाता हैं यहाँ तक कि कंवरसाहब के भी हालचाल पुछ लिये जाते है फिर बड़े ही मान मनुहार से साड़ीयाँ दिखाई जाती है और कभी पैसे कम पड़ जाते है तो बोला जाता है कि पैसे किसने मांगे हैं, साड़ी पसंद हैं ना लेकर जा ...... यह होता है मायका।
            रास्ते में कही सहेली के मम्मी पापा या भाई भाभी मिल जाते है तो ऐसा लाड़ मिलता है कि मेरे शहरी बच्चें स्तब्ध रह जाते है 😜। पड़ौस के मंदिर में जाती हूँ तो आज भी प्रसाद ज्यादा मिलता है।यहाँ तक की महरिन भी हक जता के पुछ लेती है कि बिटीयाँ कब तक रुकोगी और मैं भी सस्नेह उन्हे दादी ताई ही संबोधन देती हूँ..... यह होता है मायका।
       यहाँ तक की पड़ौस में पानी पूरी वाला भी मायके वाला अहसास दे देता है , कोई गिनती नहीं , अगर मीरा ( भतीजी ) को एक और पूरी चाहिये तो वो अपने आप उनके ठेले से उठा सकती है। पानी पूरी हो या आलु की टिकियां हर चीज ज्यादा स्वादिष्ट बना के दी जाती हैं , चटनियों के साथ स्नेह भी परोसा जाता है...... यह होता है मायका।
           हर जगह सिर्फ मनुहार ही मनुहार ,कोई पराया नहीं सिर्फ अपनापन,स्नेह,लाड़ और दुलार...... यही है मायके की फ़ितरत।
          "चतुर नार" भी आज मुक हैं क्योकि मायके में रहने के कोई कायदे कानुन नहीं , यह आपका अधिकार है जिसे आप जैसे चाहे जी सकते है।

Monday, March 7, 2016

वुमेनंस डे

आज महिला दिवस है.... विश्व की समस्त महिलाओं को समर्पित दिन। सुबह से ही व्हॉट्स अप पर महिला शक्ती से प्रेरित संदेशों की भरमार हो रही है ,खुशी होती है कि हम जागरूक है अपने अधिकारों को लेकर लेकिन क्या हर दिन हमारा नहीं होता ? विचारणीय प्रश्न है.........
                                    एक और बात, मैंने नोटिस किया कि हर संदेश में एक माँ, एक बहन, एक पत्नि,एक बेटी के रुप को ही चित्रित किया गया था,माना कि ये सारे रुप हमे ताकतवर बनाते है लेकिन इन सब के ऊपर हमारा कोई वजुद नहीं ? विचारणीय प्रश्न है..............
                                                                                  सोचिये जरा, ये सारे रिश्ते महिलाओं की त्याग वाली भावनाओं से संबंधित है, माँ की छवि बच्चों को समर्पित,बहन...भाई की खुशियों पे वारी,पत्नि....पति की पथगामीनी,बेटी...एक नाजुक सी बेल जो पिता रुपी पेड़ के सहारे बढ़ती है, हालांकि मैं स्वयं भी इन्ही रुपों को महत्ता देती हूँ ,मेरा परिवार मेरी प्राथमिकता है लेकिन कभी कभी सोच मुझे दुसरी ओर ले जाती है, इन सब से परे मेरे स्त्रीत्व का क्या ? विचारणीय प्रश्न है.............
               सारे दिन की दौड़ धुप के बाद अगर किसी भी जिम्मेदारी को निभाने में कही कोई कमी रह जाती है तो मैं ग्लानी भाव से भर जाती हूँ क्योकि मैं एक स्त्री के समस्त रुपों का तो प्रतिनिधित्व करती हूँ लेकिन अपने स्वं से पूर्णतया अनजान हूँ। असल में हमारी खुशी हमारे से जुड़े रिश्तों पर आधारित है । आपके बच्चें बहुमूखी प्रतिभा के धनी है तो आप एक समर्पित माँ है,पति खुश है तो आप सही मायनों में अर्द्धांगनी है, सास ससुर खुश है तो आप एक आदर्श बहु है और अगर आप एक सामाजिक कार्यकर्त्ता भी है तो नि:संदेह आप सर्वगुण सम्पन्न है। लेकिन इन सब के बीच एक स्त्री कहाँ है ? विचारणीय प्रश्न है.............
                                  अगर हम अपने रिश्तों से खुश है तो हम महिला दिवस मनाते है, बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ है,मेरा हर रिश्ता खुबसूरत है , पापा गर्वित होते है, पति मेरी हर ईच्छा को सम्मान देते है, बच्चें मुझसे सलाह लेते है , परिवार में मेरी राय को तवज्जों दी जाती है......मेरा हर महिला दिवस शानदार जाता है लेकिन क्या मेरी काम वाली बाई या कोई भी ओर महिला जिसे अपने रिश्तों से स्नेह नहीं मिल रहा, महिला दिवस को शानदार बना पाती हैं ? विचारणीय प्रश्न है...........
       चतुर नार का मानना है कि ये एक लंबी बहस है, थोड़ी बहुत बातें है जिन्हे व्यवहार में लाकर हम अपने स्त्रीत्व के जी सकते है........
1. कभी कभी खुद के लिये अगर कुछ नजरअंदाज करना पड़े तो कीजिये ।
2. आपको फिल्म देखनी है और आपके कक्षा पाँच में पढ़ने वाले बच्चें की ट्युशन क्लास है , क्या करेंगे ? चतुर नार का मानना है कि आप फिल्म देखने जाईये ग्लानी भाव को निकालकर।एक दिन क्लास मिस होने से कुछ नहीं होगा क्योकि आगे के जीवन में इससे भी अधिक महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ेंगे।
3. कभी कभी परिवार के बिना अकेले जीवन जीने को मन करता है, पैकिंग कीजिये और निकल चलीये अपनी सहेलियों के साथ, बहुत मज़ा आयेगा , मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।
4. जरूरी नहीं कि हर बात पति से पूछ कर की जाये।
5. हर रोज स्वयं के लिये एक घंटा निकाले, नो फैमेली,नो बच्चें नो रिश्तेदारी सिर्फ और सिर्फ आप ।
6. जो बातें पसंद नहीं है उन्हे स्पष्ट शब्दों में कहना सीखे।
7. हमेशा आप ही क्यों बदले ,अपने आस पास के लोगो को भी बदलना सीखाईये।
8. परिस्थतियों के अनुसार बदलना आपकी समझ बुझ है लेकिन परिस्थतियों को अपने अनुसार बदलना आपके आत्मविश्वास की पहचान है ।
9. जीवन की प्राथमिकताओं को क्रम में रखिये अगर कुछ बहुत इम्पोर्टेंट नहीं है तो त्याग वाली भावना को गोली मारीये 😜
10. किसी से भी प्रतिस्पर्धा मत किजीये और इस बात की तो बिल्कुल भी नहीं कि मैं एक सुपर वुमन हूँ , हरेक महिला सुपर वूमन है ,हर एक का सम्मान कीजिये, खुद को साबित करने के चक्कर में आप बहुत कुछ खो देगे
11. हर पल को सहेज कर रखिये क्या पता यादों के पिटारे से क्या निकल जाये।
12. औपचारिकताओं में जीना बंद करे।

                 हर दिन महिला का है इसे मनाईये और खुश रहिये और फख्र महसुस करते रहे अपने आप पर । आप सिर्फ माँ,बहन, बेटी या बहु ही नहीं है आप पुरी सृष्टी है ।

Thursday, March 3, 2016

सुबह की सैर

सुबह की सैर युँ तो सबके बस की बात नहीं,पर जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक है, वे भली भाँति इसके फायदों से परिचित है।वैसे तो ये कोई नयी बात भी नहीं है, पुरातन काल से ही प्रात:कालीन भ्रमण की महत्ता बतायी गई है, लेकिन आज के समय में इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है, सुबह का आधा घंटा आपका पुरा दिन खुशमय बना सकता है ऐसा मेरा अपना निजी अनुभव है।
      "चतुर नार" का मानना है कि सुर्योदय के पहले उठना और सैर पर जाना , आपने दिन की सबसे अच्छी शुरुआत है और अगर साथ में आपका पसंदीदा व्यक्तित्व हो तो यह सोने पे सुहागा। माना कि आज की भाग दौड़ वाली जिन्दगी में जल्दी बिस्तर पर जाना आसान नहीं है,लेकिन यक़िन मानिये एक बार आपको जल्दी उठने की आदत हो जायेगी तो आप खुद-ब-खुद इसके फायदों से रूबरू हो जायेगे ।
चतुर नार ने सुबह की सैर के कुछ फायदे गिनाये है जो व्यवहारिक तौर पर अनुभव किये जा सकते है -

1. अगर आप 6000 कदम रोज चलते है तो आपकी सेहत में आश्चर्यजनक बदलाव आयेगा ।
2. सुबह की प्रदुषण मुक्त हवा आपके तन ही नहीं मन को भी प्रसन्न कर देगी।
3. अगर मॉरनिंग वॉक पर आप अपने हमसफ़र के साथ है तो समझ लीजिये कि आपका रोमांस कभी खत्म नहीं होगा।
4. सुबह की सैर आपका आत्मविश्वास बढ़ाती हैं।
5. सैर करने आये लोगों की तादात देखकर आप गर्व का अनुभव करेंगे कि आप भी उनमे से एक है।
6. मॉरनिंग वॉक के बाद आप पूरा दिन घर पर ही स्फुर्ति महसुस करेंगे।
7. सुबह आधा घंटा जल्दी उठने से आप दोपहर को दो घंटें बचा पाते है,क्योकि सुबह हमारा एनर्जी लेवल अधिक होता है इसलिये हम ज्यादा सुचारु रुप से अधिक काम कर पाते हैं ।
8. चतुर नार को बहुत बार मॉरनिंग वॉक पर ऐसा लगता है कि उसके फेफड़ों में ताजगी की हवा भर गयी 😜
9. अनियमित महावारी नियमित आने लगती है।
10. चिड़चिड़ाहट और डिप्रेशन कम हो जाता है,जिन्दादिली बढ़ जाती हैं और आप खुश रहने लगते है।
11. सुबह जल्दी उठकर एक वॉक लेने के बाद आप इतना तरोताजा महसूस करेंगे कि पूरे दिन करने वाले कामों की रूपरेखा बनाकर उन्हे सफल तरीके से कार्यान्वित कर सकेगे।
12. निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
13. सुबह के शांत एवं शुद्ध वातावरण को देखकर अहसास होता है कि हम नींद में इन पलों से महरुम रह रहे थे।        
             
             आपकी पसंदीदा सड़क हो,ताजी आबोहवा हो,जुतों के लेस टाईट बंधे हो और मन से आप अपने साथ हो फिर देखीये ये मॉरनिंग वॉक आपको क्या क्या सौगातें देती है,बस एक बार लुत्फ उठा कर तो देखिये।

    

Tuesday, March 1, 2016

चतुर नार

चतुर नार की प्रथम पोस्ट पर आप सभी का स्वागत है । चतुर नार एक स्त्री का प्रतिनिधित्व करती है जिसे जीवन की हरेक कठिनाईयों से पार उतरना है, वो अपना घर परिवार संभालती है , ना सिर्फ बच्चों का बल्कि अपनी सेहत का भी ध्यान रखती है,अपनी बेबाक राय व्यक्त करती हैं,सजती है, संवरती है,नये फैशन टिप्स भी देती है ..... क्योकि स्टाईल में रहना उसे अच्छा लगता है ...... बस, ऐसी ही है हमारी चतुर नार । देखना यह है कि वो सबकी कसौटी पर खरी उतरती है कि नहीं ।