Monday, March 7, 2016

वुमेनंस डे

आज महिला दिवस है.... विश्व की समस्त महिलाओं को समर्पित दिन। सुबह से ही व्हॉट्स अप पर महिला शक्ती से प्रेरित संदेशों की भरमार हो रही है ,खुशी होती है कि हम जागरूक है अपने अधिकारों को लेकर लेकिन क्या हर दिन हमारा नहीं होता ? विचारणीय प्रश्न है.........
                                    एक और बात, मैंने नोटिस किया कि हर संदेश में एक माँ, एक बहन, एक पत्नि,एक बेटी के रुप को ही चित्रित किया गया था,माना कि ये सारे रुप हमे ताकतवर बनाते है लेकिन इन सब के ऊपर हमारा कोई वजुद नहीं ? विचारणीय प्रश्न है..............
                                                                                  सोचिये जरा, ये सारे रिश्ते महिलाओं की त्याग वाली भावनाओं से संबंधित है, माँ की छवि बच्चों को समर्पित,बहन...भाई की खुशियों पे वारी,पत्नि....पति की पथगामीनी,बेटी...एक नाजुक सी बेल जो पिता रुपी पेड़ के सहारे बढ़ती है, हालांकि मैं स्वयं भी इन्ही रुपों को महत्ता देती हूँ ,मेरा परिवार मेरी प्राथमिकता है लेकिन कभी कभी सोच मुझे दुसरी ओर ले जाती है, इन सब से परे मेरे स्त्रीत्व का क्या ? विचारणीय प्रश्न है.............
               सारे दिन की दौड़ धुप के बाद अगर किसी भी जिम्मेदारी को निभाने में कही कोई कमी रह जाती है तो मैं ग्लानी भाव से भर जाती हूँ क्योकि मैं एक स्त्री के समस्त रुपों का तो प्रतिनिधित्व करती हूँ लेकिन अपने स्वं से पूर्णतया अनजान हूँ। असल में हमारी खुशी हमारे से जुड़े रिश्तों पर आधारित है । आपके बच्चें बहुमूखी प्रतिभा के धनी है तो आप एक समर्पित माँ है,पति खुश है तो आप सही मायनों में अर्द्धांगनी है, सास ससुर खुश है तो आप एक आदर्श बहु है और अगर आप एक सामाजिक कार्यकर्त्ता भी है तो नि:संदेह आप सर्वगुण सम्पन्न है। लेकिन इन सब के बीच एक स्त्री कहाँ है ? विचारणीय प्रश्न है.............
                                  अगर हम अपने रिश्तों से खुश है तो हम महिला दिवस मनाते है, बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ है,मेरा हर रिश्ता खुबसूरत है , पापा गर्वित होते है, पति मेरी हर ईच्छा को सम्मान देते है, बच्चें मुझसे सलाह लेते है , परिवार में मेरी राय को तवज्जों दी जाती है......मेरा हर महिला दिवस शानदार जाता है लेकिन क्या मेरी काम वाली बाई या कोई भी ओर महिला जिसे अपने रिश्तों से स्नेह नहीं मिल रहा, महिला दिवस को शानदार बना पाती हैं ? विचारणीय प्रश्न है...........
       चतुर नार का मानना है कि ये एक लंबी बहस है, थोड़ी बहुत बातें है जिन्हे व्यवहार में लाकर हम अपने स्त्रीत्व के जी सकते है........
1. कभी कभी खुद के लिये अगर कुछ नजरअंदाज करना पड़े तो कीजिये ।
2. आपको फिल्म देखनी है और आपके कक्षा पाँच में पढ़ने वाले बच्चें की ट्युशन क्लास है , क्या करेंगे ? चतुर नार का मानना है कि आप फिल्म देखने जाईये ग्लानी भाव को निकालकर।एक दिन क्लास मिस होने से कुछ नहीं होगा क्योकि आगे के जीवन में इससे भी अधिक महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ेंगे।
3. कभी कभी परिवार के बिना अकेले जीवन जीने को मन करता है, पैकिंग कीजिये और निकल चलीये अपनी सहेलियों के साथ, बहुत मज़ा आयेगा , मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।
4. जरूरी नहीं कि हर बात पति से पूछ कर की जाये।
5. हर रोज स्वयं के लिये एक घंटा निकाले, नो फैमेली,नो बच्चें नो रिश्तेदारी सिर्फ और सिर्फ आप ।
6. जो बातें पसंद नहीं है उन्हे स्पष्ट शब्दों में कहना सीखे।
7. हमेशा आप ही क्यों बदले ,अपने आस पास के लोगो को भी बदलना सीखाईये।
8. परिस्थतियों के अनुसार बदलना आपकी समझ बुझ है लेकिन परिस्थतियों को अपने अनुसार बदलना आपके आत्मविश्वास की पहचान है ।
9. जीवन की प्राथमिकताओं को क्रम में रखिये अगर कुछ बहुत इम्पोर्टेंट नहीं है तो त्याग वाली भावना को गोली मारीये 😜
10. किसी से भी प्रतिस्पर्धा मत किजीये और इस बात की तो बिल्कुल भी नहीं कि मैं एक सुपर वुमन हूँ , हरेक महिला सुपर वूमन है ,हर एक का सम्मान कीजिये, खुद को साबित करने के चक्कर में आप बहुत कुछ खो देगे
11. हर पल को सहेज कर रखिये क्या पता यादों के पिटारे से क्या निकल जाये।
12. औपचारिकताओं में जीना बंद करे।

                 हर दिन महिला का है इसे मनाईये और खुश रहिये और फख्र महसुस करते रहे अपने आप पर । आप सिर्फ माँ,बहन, बेटी या बहु ही नहीं है आप पुरी सृष्टी है ।

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